5 SIMPLE TECHNIQUES FOR पारद शिवलिंग किसे कहते हैं

5 Simple Techniques For पारद शिवलिंग किसे कहते हैं

5 Simple Techniques For पारद शिवलिंग किसे कहते हैं

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अशी मान्यता आहे. लंकेचा राजा रावणाने पारद शिवलिंगाची पूजा करून भगवान शंकराला प्रसन्न करून अनेक शक्ती प्राप्त केल्या होत्या. अशी मान्यता आहे.

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पण त्या अगोदर तुम्ही पुन्हा मागील पोस्ट वाजून घ्या कारण शिवलिंग घरात ठेवणे हा विषय सोपा नाही. तसा हा कठीण सुद्धा नाही कसा ह्याचा विचार करू.

पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है। रावण को रस सिद्ध योगी भी माना गया है, और इसी शिवलिंग का पूजन कर उसने अपनी लंका को स्वर्ण की लंका में तब्दील कर दिया था।

पारद और स्फटिक में से कौन-सा शिवलिंग बेहतर होता है?

देवघरात ठेवण्यात येणाऱ्या शिवलिंगाचा आकार आपल्या अंगठ्यापेक्षा अधिक असू नये.

आपको बता दें कि सनातन परंपरा में भगवान शिव की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है। इसी के साथ सोमवार के दिन भगवान शिव की साधना के लिए समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी जातक भगवान शिव की पूजा करता है उस पर भगवान की विशेष कृपा उस पर बनती है। इसके अलावा सभी शिवलिंग की पूजा में पारद शिवलिंग की पूजा करना बेहद महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है।

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ग्रह दोष निवारण: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पारद शिवलिंग की पूजा से ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।

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पारद शिवलिंग काफी लाभकारी होती है इसीलिए जो भी व्यक्ति शिवलिंग की पूजा करता है नकारात्मक शक्तियां उससे दूर रहती हैं।

फिर इसे घर के पवित्र स्थल पर पूर्व या उत्तर-पूर्व की ओर स्थापित करें।

दोनों ही शिवलिंग अपने आप में महत्वपूर्ण और पूजनीय हैं। पारद शिवलिंग को भगवान शिव का साक्षात् स्वरूप माना जाता है, जबकि स्फटिक शिवलिंग को स्वयंभू रूप माना जाता है। पारद शिवलिंग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और ग्रह दोषों को कम करने में सहायक माना जाता है, वहीं स्फटिक शिवलिंग मन को शांत करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में सहायक होता है। आप अपनी आवश्यकताओं और पूजा पद्धति के अनुसार इनमें से किसी एक शिवलिंग को चुन सकते हैं।

श्रावण सोडून इतर कोणत्याही वेळी ह्याची स्थापना विधी click here विधानाने करावी लागेल असे माझे मत आहे.

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